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द गर्ल इन रूम 105–३७

एक उंगली डाले स्टूडियो में मौजूद एंकर अरिजीत से बात कर रहा था। "अरिजीत, हमें अभी तक केवल इतना ही पता चला है कि मरने वाली लड़की जारा लोन आईआईटी

दिल्ली में पीएचडी स्टूडेंट थी। वह हिमाद्रि हॉस्टल के अपने रूम नंबर 105 में सुबह के तीन बजे मरी हुई हालत में पाई गई। पता चला है कि उसका एक्स-बॉयफ्रेंड, जो कि एक्स-आईआईटी दिल्ली स्टूडेंट है, उसे बर्थडे विश करने के लिए उसके रूम में चला आया था और उसने उसे वहां मृत पाया।" 'एक सैकंड, एंकर अरिजीत ने हाथ में पेन लिए कहा, 'उसका एक्स-बॉयफ्रेंड उसके रूम में चला आया

था?' "येस, अरिजीत। उसका नाम केशव राजपुरोहित है। वह पांच साल पहले यहां से ग्रेजुएट हो चुका है। तब

वह ज़ारा के साथ रिलेशनशिप में था। जारा ने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से अपना ग्रेजुएशन करने के बाद किसी पीएचडी प्रोग्राम के लिए आईआईटी दिल्ली में ही जॉइन किया था, तो वो इसी कैंपस में रह रही थी। लेकिन सूत्र बताते हैं कि ज़ारा और केशव की रिलेशनशिप बहुत पहले ही ख़त्म हो चुकी थी।'

मैं मशहूर हो चुका था। टीवी पर मेरे बारे में बातें की जा रही थीं। लेकिन किसी ऐसे आईआईटी वाले की

तरह नहीं जिसने बिलियन डॉलर स्टार्टअप खोला हो या जो सीईओ बन गया हो या जिसने कोई पॉलिटिकल

पार्टी बना ली हो। मेरे मशहूर होने की वजह केवल इतनी थी कि मैं एक लड़की के रूम में गैरकानूनी रूप से घुस गया था। ‘लेकिन क्या तुम यह बता सकते हो कि वो रूम में कैसे घुसा?" अरिजीत ने कहा । 'आईआईटी गर्ल्स

हॉस्टल्स में लड़कों को प्रवेश करने की इजाज़त नहीं होती है।" 'वेल, येस, आईआईटी दिल्ली की स्ट्रिक्ट पॉलिसी है कि लड़के लड़कियों के कमरे में दाखिल नहीं हो पाएं। इसलिए केशव एक आम के पेड़ पर चढ़कर खिड़की के माध्यम से उसके रूम में आया था। बदकिस्मती से हमें कैंपस में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई है, नहीं तो हम आपको वो आम का पेड़ भी दिखाते।"

यकीनन यह तो सचमुच ही बदकिस्मती थी। देश आम के उस पेड़ को देखना चाहता था, लेकिन देख नहीं

सकता था। शायद उस पर लगने वाले आम के फल भी दिखाए जा सकते थे।

""गो ऑन' अरिजीत ने सिर हिलाते हुए कहा। वो इन हालात से बहुत ही ज्यादा चिंतित नजर आ रहा था। “तो वह पेड़ पर चढ़कर उसके कमरे में घुसा, ताकि उसको बर्थडे विश कर सके लेकिन उसने उसे वहां मरा

हुआ पाया। फिर उसने पुलिस और उसके पैरेंट्स को इसकी ख़बर दी। इस कहानी का उसका वर्ज़न तो यही है।" 'एग्ज़ैक्टली, यह 'उसका' वर्जन है। तो अब पुलिस क्या कर रही है?" ‘मेरे ख्याल से अभी किसी भी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाज़ी होगी। लेकिन केशव हौज़ खास पुलिस थाने में

है। उसे देखकर लगता है, जैसे उसके होश गुम हैं। या शायद वह गुस्से में है। हमारे पास उसके कुछ विजुअल्स हैं।" और अचानक, स्क्रीन पर मेरा चेहरा दिखाया जाने लगा। मैं पूरी तरह से एक साइको दिखाई दे रहा था। 'नहीं!' मैं चिल्ला रहा था। उन्होंने उस नहीं को लूप में पांच बार दिखाया, जैसा कि टीवी सीरियल्स में

दिखाया जाता है। "वैसे मुझे यहां यह बताना चाहिए,' रिपोर्टर ने कहा, 'कि सुनने में आ रहा है कि केशव राजपुरोहित राजस्थान से है और उसके पिता नमन राजपुरोहित वहां एक सीनियर आरएसएस मेंबर हैं। यानी उसकी फैमिली के पॉलिटिकल कनेक्शंस भी हैं।"

क्या? अब ये क्यों जोड़ा जा रहा है? मैंने अपनी ईयररिंग को छुआ। इस मामले में मेरे पैरेंट्स को घसीटने का क्या मतलब है? मैंने अपनी जेब चेक की, लेकिन उसमें मेरा फोन नहीं था। शायद मैं उसे पुलिस थाने की कुर्सी पर ही छोड़ आया था। मेरे ख्याल से पुलिस थाने से तो उसको कोई चुरा नहीं सकता था। मैंने वहां पहुंचकर फोन चेक किया तो पाया उसमें मेरे घर से दस मिस्ड कॉल्स थे। चार कॉल्स चंदन अरोरा के थे। दो कॉल सेक्सी शीला के थे, जिसने यक़ीनन चंदन के कहने पर मुझे कॉल किया होगा। इससे पहले कि मैं इन लोगों को कॉल बैंक कर पाता, मुझे एक बार फिर टीवी पर अपना नाम सुनाई दिया।

"तो क्या पुलिस ने केशव राजपुरोहित को गिरफ़्तार कर लिया है? या वह अपने पॉलिटिकल कनेक्शंस का इस्तेमाल कर बचने की कोशिश कर रहा है?"

व्हॉट द हेल! भला मुझको क्यों गिरफ़्तार किया जाना चाहिए? और मैंने भला कौन-से पॉलिटिकल कनेक्शंस का इस्तेमाल किया? मैं तो उल्टे चाहता था कि मेरे पिता को कभी भी इन तमाम बातों के बारे में पता नहीं चले।

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